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(सृष्टि का अलंकरण सृष्टि का करती दुखहरण गुरु मां सृष्टि भूषण) साधना और मंगल भावना की संपूर्णता का नाम है 60 वर्षीय पूज्य आर्यिका 105 श्री सृष्टि भूषण माताजी जी, पूज्य माता जी ने भारतवर्ष के मध्य प्रदेश प्रांत की रत्नमय मुंगावली की धरा पर 23 मार्च सन 1964 चैत्र शुक्ला नवमी को श्रद्धेय पिताश्री कपूर चंद जी एवं माता श्री पदमा देवी की बगिया में जन्म लिया नामकरण हुआ। मानवता के दिव्य आलोक से परिपूर्ण संयम की मंगल मनीषा सुलोचना यह परिवार की तीसरी संतान थी। इसे विधि का विधान कहे की इनसे पूर्व जन्मे दोनों ही पुत्र अल्प समय में ही इस मनुष्य पर्याय से पलायन कर गए। दोनों संतानों के चले जाने के बाद आपका जन्म हुआ।
िशेष बात
आप हर मुश्किल से मुश्किल कार्य को करने में विश्वास रखती थी, और उसको पूरा भी करती थी।जीवो के प्रति आपके हृदय में कर्ण का शुरू से ही बैठा था। जब कभी किसी को देखती तो आशय से देखती थी। सहायता के लिए आगे बढ़ जाती थी। शायद यही सब बातें आपको बचपन से सबसे अलग करती थी। यह आप मे विशेषता रही।
बलि प्रथा को बंद कराने में अहम योगदान
आपने सदियों से चल रही शादी विवाह में बलि की प्रथा को आपने अपने प्रयासों के बल बंद कराया। आपका अहम योगदान रहा।
"साधु और सैनिक धरती पर पैदा नहीं होते वे तो अवतरित होते है ।"